वंदना के गीत मेरे

वंदना के गीत मेरे भाव की गरिमा मिलालो |

दुःख पीड़ित जाति मेरी ,
गूंजती है युद्ध भेरी ,
शर्म का पानी बहा तो ,अश्रु एक मेरा मिलालो |

कोटि युग का तम दहलता
शक्ति मां का दीप जलता
मेरे बुझते दीप को तुम ,स्नेह भर फिर से जलालो |

ज्योति तेरी ही निहारूं
पूर्ण श्रद्धा से पुकारूँ
मेरे अरमानो के सपने ,अपने चरणों में धरालो |

सूत्र तेरा नृत्य मेरा
यन्त्री तू मै यन्त्र तेरा
मै तो तेरा ही सदा हूँ ,जीत दो या फिर हरालो |
स्व. श्री तन सिंह जी : १७ फरवरी १९६१
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Comments :

3 comments to “वंदना के गीत मेरे”
Udan Tashtari said...
on 

आभार स्व. श्री तन सिंह जी को पढ़वाने का.

aarya said...
on 

वंदना के गीत मेरे भाव की गरिमा मिलालो |
बहुत सुन्दर!

रत्नेश त्रिपाठी

ताऊ रामपुरिया said...
on 

ज्योति तेरी ही निहारूं
पूर्ण श्रद्धा से पुकारूँ
मेरे अरमानो के सपने ,अपने चरणों में धरालो |

बहुत ही सुंदरतम.

रामराम.

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