फूल खिलेंगे धीरज धरिये
भरिये रस भंडार || फूल .....
दृढ निश्चय के बीज कर्म को धरती में भर दीजिए
ऊपर जल श्रद्धा का भरिये ||
अरमानो के पल्लव पनपें ,शोलो को दहकाइये
त्याग तपस्या से मत डरिये ||
जो कांटे उभरे टहनी पे , नयनों से चुग लीजिये
दंड मिले का शोक न करिये |
पतझड़ से जाय अहं के पात आश मत खोइये
हिम्मत रख दीपक वत जलिये ||
ऋतू आने पे जो फल निकले मन में गर्व न कीजिये
होई नम्र जग वंदन करिये ||
स्व. श्री तन सिंह जी : २० फरवरी १९६३
फूल खिलेंगे धीरज धरिये
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