वाह रे कच्छ ! वाह !!

चित्रपट चल रहा था दृश्य बदल रहे थे उन्ही दृश्यों में
मैंने रावल भीमा को देखा जिसने राज्य सत्ता की महत्त्वाकांक्षा हल चलाते हुए भी पूर्ण करली तथा कच्छ का राज्य हस्तगत कर लिया | मैंने रावल जाम देखा जिसने गिरनार के स्वामी चंगेज खान गौरी की दस हजार सेना के छक्के छुडा दिए | मैंने केलाकोट के यशस्वी फूल धवलोत को देखा जिसने धरती को सुजला सफला और शस्यश्यामला बना दिया | उस फूल के पुत्र लाखा को देखा जिसकी वीरता और पराक्रम की कथाएँ आज भी जन-जन के कंठों में समाई हुई है | अपना समस्त राज्य चारणों को दान में देने वाले जाम उनड को देखा | फिरोजशाह तुगलक की विशाल सेनाओं को दो बार बुरी तरह खदेड़ते हुए मैंने जाम ऊनड बवानिया को देखा और मै बोल उठा -वाह रे कच्छ ! वाह !!
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