नीला गगन हो मस्त साथी

नीला गगन हो मस्त साथी |
जिन्दगी इठलाती जाए ,गीत गाती ,सदा रंग लाती ||

मोती आँखों में झिलमिल लिए तुम
दौड़ आओगे थाल भरे तुम
थोड़े रहना अडिग , देखे कितना है दम !
हम लिखते है आज तुम्हे पाती | नीला गगन ...

बाहें फैले तब फूल खिले हो
बिछुड़े जीवन के मीत मीलों हो
थोड़े बातों में मस्त ,थोड़े आँखों में मस्त
जीवन दीपक में जलती रहे बाती | नीला गगन ....

साथी आया है सागर लहराओ !
तारों से डटकर राह सजाओ !
हवा गाती है गीत , मौत भागी भयभीत
ये तो अलबेलों की बारात जाती | नीला गगन ...

हंस उड़ते हो बादलों में ऊँचे
नदियाँ बहती हो नेंह की नीचे
जीवन बिकते रहे , खेह उडती रहे ,
टोली बढती रहे रे गजब ढाती || नीला गगन .....
स्व. श्री तन सिंह जी : १८ मार्च १९६२
पुनरागमन

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