रक्त तिलक करले -रक्त तिलक करले ज्वालामुखी धधके
बोलो यह कुम कुम की आभा
या परिचित आने की शोभा
नवजीवन झलके नव जीवन झलके |
याद करो कुछ बिसरी बाते
याद करो वे घिरती रातें
एक बने मिलके -एक बने मिलके ||
यह तेरे स्वागत की बेला
मेरा उपहार नवेला
नेत्र नीर ढलके -नेत्र नीर ढलके ||
अब बोलो तुम क्या लाये हो
क्या लाये हो भेंट चढ़ाएँ
चामुंडा किलके - चामुंडा किलके ||
स्वागत है मेरे मन के मोती
स्वागत है रे जगमग ज्योति
कब खप्पर खल्के- कब खप्पर खल्के ||
देखो इस पीड़ित धरती को
व्यथा लिए अनुनय करती को
दावानल धधके - दावानल धधके ||
तेरा मिलन वियोग नहीं क्या
स्वर्ग नरक है और कहीं क्या
अंतर मन पुलके - अंतर मन पुलके ||
कुछ पाकर यों फूल गए क्यों
जो खोया है वो भूल गए क्यों
अंदाजे मन के -अंदाजे मन के ||
खचित भाल पर अमर निशानी
युग युग की पहचान पुरानी
बांधव भव भव के - बांधव भव भव के ||
स्व.श्री तन सिंह जी : ३१ अक्तूबर १९६२
रक्त तिलक करले
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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