उस गुजरे हुए ज़माने की कोई बात सुनाए

उस गुजरे हुए ज़माने की कोई बात सुनाए |
.................................दर्द की याद दिलाए |
चितौड़ दुर्ग ने शाके देखे ,
रक्त सिन्धु रण खेत हुए थे |
कौन स्मृति चिन्ह को लेकर , मेरे तिलक लगाए |
.......................................फूलों के हार चढ़ाए |
वन में रह प्रभु को पाला था ,
बदले में देश निकाला था |
दुर्गादास की स्वामिभक्ति का कौन पाठ पढाए |
.....................................आंसू कौन बहाए |
हुँकार हुई हल्दी घाटी में,
लुट गए अनेक सुहाग माटी में |
देश भक्ति पर परवानों को मिटना कौन सिखाए |
..............................नस-नस में त्वरा बहाए |
देखो धूमिल अवनी में ,
दीप लिए आती रजनी में|
सोतों को पुनः जगाकर जीना , मरना कौन सिखाए |
.......................................जीवन की ज्योति जगाए |
त्याग तपस्या की पूजा ले,
प्रेम मयी कुछ मादकता ले |
एक दीप से जले दूसरा , वह त्यौहार मनाए |
................................दर्द की याद दिलाए |

स्व.श्री तन सिंह जी : २२ नव.१९५० बाड़मेर |

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Comments :

1
ओम आर्य said...
on 

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ................

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