टिम टिम करते तारे बुलाते

टिम टिम करते तारे बुलाते , उस दुनिया में जाना ही होगा --
अपने पुरखों के पथ से बिछुडे , पथ पर फिर से आना ही होगा |

सरवरिये में कमल खिला था
जिसमे भंवरा बंद हुआ था
क्षण के रूप जाल से अब तो हम को बाहर आना ही होगा |

पतझड़ उपवन में फिर गया है
बाग़ उजड़ के रह गया है
पेडों की हरियाली बनकर हमको बन में फिर से जाना ही होगा |

भूली हमारी कहानी सिसकती
इज्जत हमारी है टुकड़े होती
आंसू की धारा कब तक रोकेंगे आखिर इसको बहाना ही होगा |

स्व. श्री तन सिंह जी
: २७ जुलाई १९५३ फुलेरा से कुचामन रेल में |

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


Comments :

0 comments to “टिम टिम करते तारे बुलाते”

Post a Comment

 

widget
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
www.blogvani.com

Followers