कहो चुकाई कीमत किसने

कहो चुकाई कीमत किसने उज्जवल इस इतिहास की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

सोये यहाँ पै उजड़े मन के बिखरे ये अरमान है |
चम चम करती तलवारों में झांक चुके मैदान है ||
यहाँ के खंडहर बोल रहे है रोते हम पाषाण है |
किसे जिन्दगी देते हो तुम मरना यहाँ की शान है ||
आजादी के लिए जिन्होंने खाई रोटी घास की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

यहाँ खून में तैर चुकी है बीती कई कहानियां |
आन बचाने अंगारों में कूद पड़ी क्षत्राणियां ||
अरमानो के श्मशानों में सो गई कई जवानियाँ |
रणथम्भोर की ईंट-ईंट बोल रही कुर्बानियां ||
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

एक अकेला होकर भी वह शक्ति का जो प्यारा था |
पट गई धरती मची खलबली खेत जहाँ संहारा था ||
दाँत शत्रु ने तुडवाये और बना खून का गारा था |
तृप्त हुई रण चंडी रण का बजता सदा नंगारा था ||
भारत के सम्रांगण कहते जय भारत सम्राट की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

कभी वीरता के सागर में ज्वार उफनता आता था |
धरती नभ को छान डालते शत्रु नहीं जब मिलता था ||
आपस में माथों का सौदा कोई बांकुरा करता था |
उंटाला कहता विस्मय से कैसा अजब जमाना था | |
अलबेलों ने लिखी कहानी कैसी सत्यानाश की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

यहाँ मौत ने जिन्दगी से सदा लडाई ठानी है |
सेर नमक के लिए वीरता बनी शीश की दानी है ||
यहाँ की स्वामिभक्ति का रे नहीं जगत में सानी है |
क्षिप्रा में भी बोल रहा उन तलवारों का पानी है ||
कैसी दुर्गति हुई यहाँ पर काल के परिहास की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

आजादी के नाम पै अब तो दुनियां को भरमाया है |
कुचल दिया जालिम ने मुझको दर-दर भटकाया है ||
चोटी पकड़ महल से नीचे कीचड़ में थरकाया है ||
गौर करो धरती पर कैसा नया जमाना आया है |
कंगालों से लक्ष्मी करती इच्छा है सहवास की |
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

आज लिए चिनगारी बढ़ता शोलो को दहकाने को |
कायरता के कुष्ठ रोग से सबको मुक्त कराने को ||
त्याग रहा हूँ सब कुछ अपना केवल सब कुछ पाने को |
ढूंढ़ रहा मरदाने में मै तो अपनी बात सुनाने को ||
बदला ले लूँ यही रही बस इच्छा अंतिम सांस की ||
सुनो कहानी थर-थर करती धरती और आकाश की ||
हर -हर महादेव बम , हर- हर महादेव ||

स्व. श्री तन सिंह जी : २६ अगस्त १९५७

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