हैर जोवै मारगडो,
नैणा सूं लाचार भायो जोवै मारगडो ||
भाया थारै भाई गनायत सगाँ रो कांई टोटो है ,
गेडी बायरै आंधे नै तो आँख्यां रो ही घाटो है |
घाटे री उमरड़ी में लादयों मारगडो ||
हैर जोवै मारगडो ||
आँख्यां रे भरोसे भाया बैठो मती रिजै रे ,
उमरड़ी अनमोल रो तू मोल मती कीजे रे |
कटलीज्योड़े लोहे नै मिलग्यो है पारसडो ||
हैर जोवै मारगडो ||
मारग मिलता आंधे नै आँख्या री जोत मिलगी है ,
सुझतो जे बैठो रैवे अक्कल उन री ढल्गी है |
सूतां सूं नी पार जावै अबखो थारो कारजडो ||
हैर जोवै मारगडो ||
स्व. श्री तनसिंह : १५ जन.१९५३
हैर जोवै मारगडो
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झंकार,
स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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thoda saa samaj aayaa..
par ye bahut aachcha he..
आँख्यां रे भरोसे भाया बैठो मती रिजै रे ,
उमरड़ी अनमोल रो तू मोल मती कीजे रे |..