यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां ||
राणा सांगा से वीर थे , कुम्भा का विजय स्तम्भ देख |
टूटे हुए इन खंडहरों में , सोती हुई कहानियां |
यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां ||
मातृभूमि के हित के लिए , राणा के सारे कष्ट थे |
अरावली से बह रही है , आंसू भरी कहानियां |
यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां ||
जैता , कुंपा,झाला,दुर्गा , सेवक या नेता क्या कहें |
सेर सलुने के लिए , यह मिटने की कहानियां |
यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां ||
नकली किलों पर मर गए , छाती से दरवाजे तौड़ दिए |
बलिहारी मस्त वीरता की , व उसकी उजड़ी कहानियां |
यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां ||
स्व.श्री तन सिंह जी :४ सितम्बर १९५१ जोधपुर
यह है हमारी जिन्दगी की उजड़ी हुई कहानियां
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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बहुत अच्छा लगा यह रचना पढ़कर..आभार प्रस्तुत करने का.