यह कौनसी शमा के है पतेंगे देखलो |
यह मौत है या जिन्दगी क्या है सोच लो ||
मांगता है मुझसे कोई झोली पसारता ,
शरमा गई है जिन्दगी जिसको गरूर था |
दे रहे या पा रहे है कुछ तो देखलो |
यह मौत है या जिन्दगी क्या है सोच लो ||
मै देखता हूँ लुट रही आंसू भरी कहानी ,
पर परलौकिक तत्व पाकर धन्य हुई जवानी |
जल आँख का प्रस्तुत खड़ा न शेष देखलो |
यह मौत है या जिन्दगी क्या है सोचलो ||
आकांक्षाए अरमान है जो उठते प्राणों में ,
उलझी हुई है गुत्थियाँ जीवन के तारों में |
जो कुछ भी है वो तेरा है, सब कुछ भी देख लो |
यह मौत है या जिन्दगी क्या है सोचलो ||
स्व. श्री तन सिंह जी : १७ मई १९५२ दांता |
यह कौनसी शमा
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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