परम पूज्य पावन चरणों में जीवन के अरमान अड़े |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
सदियों से पिसते आए है , सदियों से है दास है बने |
धर्म कर्म कर्तव्य भुलाकर अपने कुल के नाश बने ||
जल्दी तत्व सिखा फिर जिससे , भक्षक का उपनाम उड़े |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
तुमने मार्ग बताया हमको दीपक ज्यों दिन रात जलो |
इसीलिए हम खड़े प्रकाश ले अब मुक्ति की और चलो ||
तव आज्ञा से दीप लड़ी भी विद्युत बनकर ज्योति करे |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
तन को जीवन दिया जन्म ने , मृत्यु उसे ले जायेगी |
वैभव और समृद्धि सारी पृथ्वी पर रह जायेगी ||
इन पर यह अधिकार हमारा सद् अवसर पर त्याग करें |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
इन आँखों से हमने हमको विश्वजयी बनते देखा |
इन आँखों से इज्जत पर ही कभी छुरी चलते देखा ||
फर फर फर फर फहराते हो कहते क्यों नहीं मौन खड़े |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
कुछ देखा कुछ सुना सहा सब तेरी ही तो इच्छा पर |
महा हवन पर हविष्य बन कर आए तेरी इच्छा पर ||
इन प्राणों पर इन भावों पर तव इच्छा अधिकार करे |
अरे तुम्हारे ही इंगित पर सुख दुःख के सब साज पड़े ||
स्व,श्री तन सिंह : २३ अप्रेल १९४७ मलसीसर हाउस जयपुर |
परम पूज्य पावन चरणों में
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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सार्थक प्रयास.... शुभकामनाऐं.