जल जल कर उठने वालों को दो मंगल वरदान |
प्रभुजी दो मंगल वरदान ||
जागे कण कण मेरा सोया |
बीता गौरव प्यारा खोया ||
मैल पीढियों का है धोया , बस एक रहा अरमान |
प्रभुजी दो मंगल वरदान ||
पथ का पार किया अन्धेरा |
दुःख ने आज मगर है घेरा ||
कहाँ रैन है कहाँ बसेरा , पथ के है अनजान |
प्रभुजी दो मंगल वरदान ||
साथी हिलमिलकर आते है |
प्राणों में रंग भर जाते है ||
किन्तु कहीं पर गिर जाते है , उठने दो भगवान |
प्रभुजी दो मंगल वरदान ||
दीपक एक टिमक टीम जलता |
आज पतंगों का दिल जलता ||
जलकर ज्योति में ज्योति मिलाता , जलने में ही आन |
प्रभुजी दो मंगल वरदान ||
स्व.श्री तन सिंह जी : २२ सितम्बर १९४९ समदडी |
जल जल कर उठने वालों को
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