हिन्दू के कुल के उजियारे बन क्षत्रिय आगे आवें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
क्षात्र धर्म के पालन के हित शक्ति खूब बढावें ,
निज शरीर को लोह बनाकर कड़ी-कड़ी जुड जावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
टूटे उर के चिनगारी ले ऐसी आग लगावें ,
दुष्ट दलन के हित हम सारे शम्भू नयन बन जावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
संघ भूमि पर नियमित जाकर ऐसी दीक्षा पावें ,
गत वैभव पर धीरज से हम कदम कदम बढ़ जावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
संघ दीप से जलकर हम सब दीप लड़ी बन जावें ,
भाव कर्म को एक बनाकर व्यक्तिवाद बिसरावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
बिछुडे है हम युग युग से अब पुनर्मिलन है आया ,
आओ प्रिय केशारियां को हम अपना शीश झुकावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
हमको मिला देख गर्व से धर्म पताका फहरी,
रोम-रोम में इसकी आज्ञा अपना धर्म निभावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
इसका आशीर्वाद मिलेगा चलो कर्म रत होवें ,
संघ कार्य निष्काम भाव से करने में जुट जावें |
हम ऐसा संघ बनावें ||
स्व.श्री तन सिंह जी : ३१ अगस्त १९४७
हिन्दू के कुल के उजियारे
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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