जीवन के अन्तस्थल में

जीवन के अन्तस्थल में खिलती है फुलवारी
जागी भंवरों की वाणी कल्याणी हितकारी

फूल खिले है सब भांति के यहाँ पै ---सब...
कलियाँ भी दिखती है, प्यारी सी सुकुमारी || जीवन .........

किसी ने तो रूप लिया, किसी ने सुगन्ध -- हाँ किसी ने ...
उपवन में सब ने पाया , जिसने जो विचारी || जीवन.........

प्रेम की सरिता निचे , तपस्या की धूप ऊपर --- तपस्या....
भावना के झंकोरों में , फलों की है तैयारी || जीवन......

माली आओ नित्य सींचो , हम भी बढ़ते जायेंगे -- हाँ हम भी ...
कुसुमों के खिलने में , फलो की है तैयारी || जीवन .......

स्व,श्री तन सिंह जी : २३ अक्टूबर १९४७

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Comments :

3 comments to “जीवन के अन्तस्थल में”
प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...
on 

प्रेम की सरिता निचे , तपस्या की धूप ऊपर --- तपस्या....
भावना के झंकोरों में , फलों की है तैयारी || जीवन......
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति स्व .. श्री तन सिंह जी को सादर प्रणाम
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

ओम आर्य said...
on 

bahut sundar

Udan Tashtari said...
on 

आभार इसे प्रस्तुत करने का.

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