भारत का मान बिन्दु

भारत का मान बिन्दु ,तिरंगा यह झंडा हमारा |
मर के अमर हो जाना, पर ये झंडा ना झुकाना ||
लाखों चढ़े थे शमा पर किंतु बुझने न दी ये ज्योति |
बलिदानों की ये कथाएँ बातों में ना तुम भुलाना ||
बूंदी की शान कुम्भा ने, मेवाड़ में लड़कर बचायी |
उसने नकली किला बचाया, तुम असली निशां ना झुकाना ||
हाथी से टक्कर दिला कर,छाती से किला तुड़वाया |
वीरों की अमर कहानी, चुल्लू पानी में ना तुम डूबना ||
पच्चीस वर्ष कष्टों के,प्रताप ने वन में सहे थे |
स्वतंत्रता के दीवानों का भी यही था तराना ||
ओ भारत के वीर सपूतो,ओ राष्ट्र के तुम सितारों |
जननी की लाज कभी तुम,अपने ना हाथों लुटाना ||
अपमान औ" ठोकर की अग्नि अश्रु बूंदों से ना तुम बुझाना |
बुझाना हो तुम्हे कभी तो, खून की नदी से बुझाना ||

स्व.श्री तानसिंह जी द्वारा मार्च १९४६ में लिखित

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Comments :

1
Unknown said...
on 

dhnya ho!

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