तुम आओगी माँ ! तुम आओगी माँ ! चाहे देर सवेर करो
चलते चलते पग मेरे हारे , अब तो पार करो , हे माँ ! हे माँ !!
सब को दर्शन तुम देती हो !
मेरी परीक्षा क्यों लेती हो !
तेरी ममता छिप न सकेगी , लाखों जतन करो ! हे माँ ....
मै तेरा हूँ क्या छोडोगी ?
शरण में हूँ क्या ठुकरा दोगी ?
भक्तो की कल्याणी माता , मेरी खबर करो || हे माँ ......
दुष्टो ने जग को हिलाया
मेरी पुरी में रंग जमाया
आना तो तुमको पड़ेगा , चाहे देर करो || हे माँ ....
फूलो में तुम मुस्काती
ज्योति में तुम जगमगाती
ये इशारे आने के है , पर विश्वास भरो || हे माँ ...
स्व. श्री तन सिंह जी : १९ सितम्बर १९६०
तुम आओगी माँ
Labels:
Jhankar,
झंकार,
स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुन्दर भावपूर्ण रचना स्वं तनसिंह जी की/