हर कठिनाई हर ठोकर पर मेरे दिल तू हँसता जा |
मस्ती में तू बढ़ता जा ||
कठिन समय में साथ न देंगे अपने कहने वाले
तुझे मिलेंगे पग पग पर , ये नफ़रत करें वाले
इन बेचारों पर मस्ती से अपनी ख़ुशी लुटाता जा |
थोडा सा मुस्कराता जा ||
तुफानो का तोल वजन लो सागर को ललकारो
जो तुमको नीचा दिखलाए , डटकर फुफकारो
साथी करे दगा तो डर मत शत्रु पर ही मरता जा |
कर्जा उन पर करता जा ||
यह अरुणाई चंद दिनों की,प्याले और चढाले
जो कोई प्यासा भूला भटका आए उसे मिलाले
तुझे फंसाने जो कोई आए, हंसी ख़ुशी से फंसता जा |
ऐसे उन्हें फंसाता जा ||
भगवन रूठा साथी रूठे , रूठे बेबस आयेंगे
दरियादिली जो रूठ गई ,तो कोई न वापस आयेंगे
तकदीरों ने शतरंज खेली उनके कदम मिटाता जा |
चोटी पकड़ हिलाता जा ||
स्व. श्री तन सिंह जी : ६ जून १९६०
हर कठिनाई हर ठोकर पर मेरे दिल तू हँसता जा
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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