नाच मन मयूर दिव्य सी छटा है छाई |
आज बंधू स्नेह की बहार दे दिखाई ||
सुप्त शक्तियां प्रबुद्ध एक्य ने बनाई |
इसीलिए गले लगे कदम बढाओ भाई ||
द्वेष दंभ की हुई थी फूट से सगाई |
कृपा हुई माँ की आज परम ज्योति पाई ||
एक ध्यय एक मार्ग सभी क्षत्रिय भाई |
एक भाव एक ध्वजा शीश दे झुकाई ||
मस्त जिन्दगी में है नई हिलोरें आई |
अंधकार को भगा प्रेम किरण आई ||
कर्मशील हुए बिना मिटी कभी तबाही |
ग्राम-ग्राम नगर-नगर संघ दे दिखाई ||
स्व. श्री तन सिंह जी : २२ जनवरी १९५९
नाच मन मयूर
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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bahut sundar rachana . dhanyavad