मैं बनजारा हूँ कौन मेरा है मेरा साथी | प्रीत मेरी शरमाती ||
बाळद लेकर चला युगों से , बन बन का मैं राही -२
अरमानो की तस्वीरों पर , उलट गई है स्याही -२
जब से हुनमें लगा पूछने कहाँ मेरी है थाती
तब से ही मुझको हर महफ़िल उलझाती || १ || प्रीत मेरी ....
मैं सपनो की बहती सरिता , जिसका नहीं किनारा -२
अनबोली भाषा का हूँ मैं , उलझा हुआ इशारा -२
मेरे जीवन की हर ठोकर को आँख सदा नहलाती
क्यों चिर परिचय को राजनीती बहकाती || २ || प्रीत मेरी...
कुछ इसे है जो शीश चढ़े पर, फूल बने शरमाते-२
युग-युग से रहकर आँखों में , आँख नहीं खटकाते-२
हवा उन्ही का प्यार चुरा कर मधुर गीत है गाती
है याद उन्ही की घाव मेरे सहलाती || ३ || प्रीत मेरी ......
गुजर रही है अभी यहाँ से , मतवालों की टोली -२
माटी के रंगरेज यहाँ पर, खेल रहे है होली -२
जो आग जली थी जौहर में वो दीपक को जलवाती
अब उषा उतरी जीवन घट छलकाती || ४ || प्रीत मेरी ....
14 मार्च 1965
स्वतंत्रता समर के योद्धा : राव गोपाल सिंह खरवा
वो कौम न मिटने पायेगी
मैं बनजारा हूँ
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स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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