हमें बहका न कोई लाया है आये है हम |
तेरी बगिया में नया पाया है जनम ||
बड़ी बातों को समझने का अभी होश नहीं
कलियों में अभी फूलों का वो जोश नहीं
बड़ी शिद्दत से तेरी टहनी पे चटके है हम || तेरी बगिया ....
तेरी झोली में कुछ रत्न की दरकार रही
जान क्यों ढुंढती हमको तेरी ये आँख रही
आये है तेरी देहली पे रमवाने भसम || तेरी बगिया ...
बड़े भोले है न हमको किसी से ही गिला
भटके हुए जीवन को नवाधार मिला
मेरे जीवन में न मिटने के ये तेरे कदम || तेरी बगिया ...
आँखों में जो डालो तो चुभेंगे ही नहीं
तेरे इंगित बिना दुनिया में झुकेंगे ही नहीं
सच कहता हूँ मेरे स्नेह की ऐसी ही रसम || तेरी बगिया ...
30 जुलाई 9615
स्वतंत्रता समर के योद्धा : राव गोपाल सिंह खरवा
हमें बहका न कोई लाया है
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झंकार,
स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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आभार बेहतरीन प्रस्तुति का.
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत लाजवाब.
रामराम.