कहा था कि देखो कहीं दूर गाती
जो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?
ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,
निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती |
कहा था कि देखो कहीं दूर गाती
जो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?
ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,
निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती |
बुझी सी आशा का दीपक लिए जो ,
निराश्रित सी कोई चली आ रही है || कहा....
किसी ने उदासी में आँखे चुराली ,
कितने है उसके सहारा न कोई |
झोली नहीं है पसारी है बाहें ,
तभी तो हमारी ही ओर आ रही है || कहा....
कहती मेरे आंसू की लज्जा किसे है ,
भरे जग में मेरा भी कोई अपना है |
किसी पर भी कर्जा हो मेरा चुकादे,
बीड़ा फिराती चली आ रही है || कहा....
कहीं ये हमारी ही तस्वीर नहीं है ,
युगों से जो भूली है उभरी गगन में |
करें याद आओ पलकें बिछाएं ,
अरे ये हमारी ही कौम आ रही है || कहा ....
अप्रेल
बुझी सी आशा का दीपक लिए जो ,
निराश्रित सी कोई चली आ रही है || कहा....
किसी ने उदासी में आँखे चुराली ,
कितने है उसके सहारा न कोई |
झोली नहीं है पसारी है बाहें ,
तभी तो हमारी ही ओर आ रही है || कहा....
कहती मेरे आंसू की लज्जा किसे है ,
भरे जग में मेरा भी कोई अपना है |
किसी पर भी कर्जा हो मेरा चुकादे,
बीड़ा फिराती चली आ रही है || कहा....
कहीं ये हमारी ही तस्वीर नहीं है ,
युगों से जो भूली है उभरी गगन में |
करें याद आओ पलकें बिछाएं ,
अरे ये हमारी ही कौम आ रही है || कहा ....
17 अप्रेल 1966
स्वतंत्रता समर के योद्धा : महाराज बलवंत सिंह ,गोठड़ा |
मेरी शेखावाटी: नरेगा की वजह से महंगाई में वृद्धी
राजस्थान के लोक देवता कल्ला जी राठौड़
कहा था कि देखो
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झंकार,
स्व.श्री तन सिंह जी कलम से
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बहुत बेहतरीन प्रस्तुति!!
एक अपील:
विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’