भूल भी थी कैसी

भूल भी थी कैसी फूल सी कोमल
सो न सकी तडफी प्राण सी

बचके मैं चलता तो यों नहीं जलता
और जल नहीं जाता तो क्या मैं करता
पलकों की छाया में सोई हुई थी कहानी
आँख अनजानी में पहचाना था पानी
काश कि मेरी दर्द की उलझन,हो सकती आसान सी ||

दर्द जो बांटा तो मैं नहीं बोला
परदेशी आये पट मैंने खोला
मेरा कुछ नहीं ले के, मुझको ही लिया
बदले में केवल दर्द ही दिया
हार तो मेरे भाग्य पे दौड़ी,चढ़ आई अभियान सी ||
हंसो नहीं मेरी सुख की समाधि है
फूल चढ़ाओ ये प्रीटी अनादि है
भूल जाओ तुम भूलों को यादें जगाओ
शुलों के सिर पे कफ़न जलाओ
कर्म की मेरी जीवन यात्रा, शेष रही तूफ़ान सी ||

27 दिसंबर 1967

हठीलो राजस्थान-19 | Rajput World

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Comments :

7 comments to “भूल भी थी कैसी”
ताऊ रामपुरिया said...
on 

बहुत सुंदर.

रामराम

Datar Singh Rathore said...
on 

shandar

Unknown said...
on 

दीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!

way4host
RajputsParinay

Unknown said...
on 

दीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!

way4host
RajputsParinay

Harun Ar said...
on 

Hi ... Nice
Greetings Bro

Pankaj kumar said...
on 

bahut achchha

Pankaj kumar said...
on 

bahut badhiya

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