भूल्या बिसरया भाईडां ने

भूल्या बिसरया भाईडां ने आज लवना लागी रे
जागी रे जागी जागी दिवळे री जोत जागी रे
बरसां सूं पतंगो आयो पांवणो

समदर रै किनारे मेळो चालै नी पतंगा रे
सुणीजै भागीरथ आया घरां आई गंगा रे
बांटां रे घट-घट मे चानणो

आज म्हारै मनडे रो सौवणो मोर नाच्यो रे
परभातां री प्रीत रो रळियाणो रंग राच्यो रे
फ़ूलां सूं छायोडो म्हारो आंगणो

तकदीरां रा आंझा दिन आंगळियां गिणीजै रे
सतियां रा सन्देशा महारै गीतां मे सुणीजै रे
नीठै सूं आयो रे महानै जीवणो

खेती महांरी ऊधडी है थांरी रखवाळी रे
जगदम्बा माता म्हे थांरै भरोसै रा हाळी रे
काळां मे करजो रे मत्ती रीसणो |

15 नवम्बर 1965

ज्ञान दर्पण पर इतिहास के लेख

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


Comments :

0 comments to “भूल्या बिसरया भाईडां ने”

Post a Comment

 

widget
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
www.blogvani.com

Followers